एक ही विचार का दिमाग में बार बार घूमे जाना और हम चाह कर भी उससे बाहर न निकल पाए
यह है कंपल्सिव थिंकिंग
यह हमारे काम करने की सारी शक्ति चूस लेती है और हमें पूरी तरह से डिस्चार्ज कर देती है
आज हम इससे बाहर निकलने का उपाय ढूढेंगे और पहले यह जाने की कोशिश करेंगे कि कंपल्सिव थिंकिंग यह विचार है कैसे
उस आदमी ने सबके सामने मेरी इंसल्ट की
उसकी हिम्मत कैसे हुई ऐसा करने की
मैं उससे बदला जरूर लूंगा
अब होगा क्या, हमारे पास उस आदमी का पूरा बायोडाटा खुल जाएगा
यानी उसकी कमियों की पूरी लिस्ट
हो सकता है कि वह लिस्ट भी खुल जाए जब हमने उसकी मदद की सहारा दिया
यह बदला पूरा हो ना हो पर इस विचार से लड़ते-लड़ते हम पूरी तरह थक जाएंगे और वह घटना याद आ आ कर हमें खोखला कर देगी
अब दूसरा विचार
रात के 10:00 बज गए हैं और मेरा होमवर्क अभी तक पूरा नहीं हुआ है
कल टीचर से पक्का डांट पड़ेगी
यानी डर की भावना से प्रेरित
अब काम करने की तो गुंजाइश बची नहीं , तो मन बहाने बनने लगेगा , क्या कहूं कि बच जाऊं
कह दूंगा कि घर पर गेस्ट आ गए थे
या मेरी तबीयत खराब हो गई थी
या छोड़ो कल मैं स्कूल जाता ही नहीं बीमारी का बहाना बना दूंगा
क्या होगा , कैसे होगा इस बेचैनी में पूरी रात गुजर जाती है
अब तीसरा थॉट
मान लीजिए मुझे एक फोन लेना बहुत ही सुन्दर शुरू शुरू में बहुत मजा आता है इस विचार के साथ
पर अगर चीज मनमाफिक न मिल पाए तो फिर दिमाग जाल बुनने लगता है
इसे ले लेता हूं इसमें कैमरा अच्छा है पर बैटरी तो 3500 mAH की है मतलब 1 दिन भी पूरा नहीं चलेगा
नहीं नहीं यह ले लेता हूँ इसके सारे फीचर अच्छे हैं पर यह तो बहुत महंगा है
और हजारों ऑप्शन आ आ कर हमारा जीना हराम कर देते हैं
कभी अमेज़न, कभी फ्लिपकार्ट, कभी शॉप ,कभी कोई ऑनलाइन ऑफर, हमारी जान सूखा देते हैं
यह प्रकरण तब तक चलता है जब तक हम कोई फाइनल डिसिशन न लेलें
इन सभी परिस्थितियों में कई बार हम नतीजे पर नहीं पहुंच पाते कि क्या करना है
हमें लगता है हम कोई सलूशन ढूंढ रहे हैं और कुछ भी हाथ नहीं आता
कई बार हम जान जाते हैं कि हम फंस चुके हैं पर निकल नहीं पाते
वास्तव में सभी अच्छे डिसीजन शांत मन से लिए जाते हैं
जब मन में लालच डर या क्रोध की भावना हो तो डिसीजन लेने की बजाए हमें मन को शांत करने की तरफ ध्यान देना चाहिए , रास्ता अपने आप हमारे सामने खुल जाएगा
अब बात उपाय की , जो केवल एक है ,
अपने मन को किसी दूसरी चीज पर केंद्रित कर देना या फोकस कर देना
हम सभी ऐसा ही करते हैं और ढेरों साधनों की मदद लेते हैं
जैसे कोई गाना सुनना ,’ सुख के सब साथी दुख में ना कोई ‘ या कोई affirmation या रट जैसे ‘भगवान मेरा भला करेंगे, भगवान मेरा भला करेंगे भगवान मेरा भला करेंगे मुझे पूरा विश्वास है
या कोई मंत्र जैसे ‘ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय’
या फिर कोई योगिक क्रिया जैसे योगनिद्रा जो ऑटो suggestion के द्वारा आप को गहरी नींद में डाल दे
यह सारी चीजें मदद करती हैं पर जब प्रॉब्लम बड़ी हो तो मन बार-बार वापस उसी चीज पर उसी थॉट पर आ जाता है
इसलिए आज हम एक अलग मेथड की बात करेंगे सिंपल लेकिन इफेक्टिव
जिसमें पॉइंट एंड कॉलिंग मेथड की हेल्प लेंगे जो फोकस का एक तरीका है ताकि हमारे काम में गलती ना के बराबर हो
पॉइंट एंड कॉलिंग मेथड एक जापानी टेक्निक है जो वहां रेलवे विभाग द्वारा अपनाई जाती है और जिससे एक्सीडेंट के चान्सेस लगभग ख़त्म हो जाते हैं
जब ज्यादा से ज्यादा इंद्रियां किसी काम पर लगा दी जाती हैं तो हमारे भटकने की संभावना बहुत कम हो जाती है
अब काम क्या है ? एक पेपर पर पेन से एक से सौ तक लिखना , वो कैसे
एक साथ मुंह से साँस छोड़े और बोले एक और हाथ से लिखे एक
फिर ऐसे ही दो फिर तीन
इस तरह 100 तक लिखने में आपको लगभग 5 मिनट लगेंगे
क्योंकि हाथ आंख मुंह कान सब यही काम कर रहे हैं इसलिए आपका मन किसी और विचार पर नहीं जा सकेगा फिर भी अगर विचार आप को रोक दें तो आप जान जाएंगे कि आप कितना गिन सके और गिनती दोबारा से शुरू करें और अगर न हो पाए तो शुरुआत में १०-२० तक ही गिने ज्यादा बल प्रयोग न करें
जब मन शांत होने लगे तो गिनना बंद कर दे या धीरे-धीरे एक-एक इंद्री को फ्री करें
जैसे पहले सांस मुँह से छोड़ना बंद करें नार्मल कर लें यानि नाक से छोड़े
फिर बोलना बंद करें फिर लिखना बंद करें फिर मन में भी बोलना बंद कर दें और thoughtless स्टेट का आनंद उठाएं
ये बहुत हेल्पफुल है और इफेक्टिव भी
और ये आपको कंपल्सिव थिंकिंग से बाहर कर देगा
फिर भी एक समस्या है
समस्या है पानी की कमी पर कुआं खोदने की
मतलब जब आप विचारों के भंवर में फंस कर खुद को खत्म कर चुके होंगे तो आपके पास इतनी ताकत बची ही नहीं होगी कि आप पेपर पेन लेकर 100 तक गिनती लिख सके
चाहे आपको इसमें 5 मिनट का ही समय क्यों न लगे पर आपको ये बहुत कठिन लगने वाला है
पर इस तकलीफ को आप अभ्यास के द्वारा दूर कर सकते हैं जब समय मिले या जो समय आपको ठीक लगे बेहतर है दोपहर खाने के बाद ऑफिस के कुर्सी पर टेक लगाकर एक बार अगर आप इस विधि का अभ्यास करें
तो विश्वास करिये कोई भी विचार आपको थका नहीं पाएगा