हम खुद से ज्यादा कुछ नहीं देख सकते, ना कह सकते हैं, न समझ सकते हैं | जो कुछ भी हमें बाहर दिखाई देता है, वह हमारे ही भीतर का स्वरूप है | क्या आपको नहीं लगता, कि वह सारी कमियां, जो बाहर हमें दिखाई देती हैं, वह नहीं होती, तो हम और आप वैसे ही इंसान होते, जैसे आज हैं | नहीं समझ आया, चलिए समझने की कोशिश करते हैं |
अच्छा हम बच्चों क्या समझाते हैं, कि टाइम से पढ़ो, काम को मत टालो , जरूरत से ज्यादा टीवी मत देखो, समय से सोने चले जाओ, रोज का काम रोज खत्म करो, लोगों से अच्छा व्यवहार करो, गुस्सा मत करो, बात बात पे उदास मत हो, वगैरह -वगैरह |
अब आप दिल पर हाथ रख कर बताइए, कि आप अपने कितने काम समय पर करते हैं, कितने लोगों से प्यार से बात करते हैं, कहां तक गुस्सा नहीं करते, उदास नहीं होते, काम नहीं टालते, समय से सोते हैं, टीवी ज्यादा नहीं देखते, फालतू चीजों में समय नष्ट नहीं करते|
मुझे पता नहीं है, कि आप खुद को कितना जानते हैं, पर अगर आपको लगता है कि यह सारे गुण आपके अंदर हैं , तो आप इंसान नहीं भगवान है | अगर गलतफहमी या खुशफहमी ज्यादा हो, तो अपने किसी करीबी दोस्त या रिश्तेदार से पूछ लीजिएगा, वह आपको बता देगा, कि आप कितने श्रेष्ठ हैं, और कब कब, या किन किन परिस्थितियों में आपने रूल तोड़ा है, या गलत व्यवहार किया है|
पर मेरा मकसद आपको गलत ठहराने का नहीं है, मेरा प्रश्न कुछ और है, क्या आपको नहीं लगता, कि यह दुनिया हमें उतनी ही बुरी दिखाई देती है, जितने बुरे हम खुद हैं, या लोग और परिस्थितियां उतनी ही तकलीफदेह और थकी हुई लगती है, जितने थके और तकलीफदेह हम खुद हैं |
जरा गौर से देखिएगा, उन लोगों को, जिन्हें आप फॉलो करते हैं, वो कितना चार्ज रहते हैं, लोगों के जीवन की कितनी तारीफ करते हैं |
हम जितना देते हैं, हमें उतना ही मिलता है, हम जैसा देखते हैं, वैसे हम खुद दिखाई देते हैं, सीधे शब्दों में कहूं, तो जीवन एक आईना है | और हम शख्स, सभी लोग, इस दुनिया में अपनी ही तस्वीर देख रहे हैं |अगर यह दुनिया बाहर खूबसूरत नहीं दिखाई दे रही, तो कुछ ऐसा है, अंदर, हमारे अंदर, जिसे बदलने की सख्त जरूरत है, धन्यवाद |