क्या हम जान सकते हैं ? कोई ऐसी चीज जो ये बता सके , कि ये काम होगा या नहीं ।
कोई ऐसी चीज जो हमारे नियंत्रण में हो ,
आइये , इसका जवाब जानने के लिए हम सम्मोहन , यानि हिप्नोटिस्म से जुड़े , एक बहुत ही खास शब्द को समझने की कोशिश करते हैं
ये शब्द है suggestion , जिसका हिंदी मतलब है, सुझाव देना या आदेश देना ।
अब ये suggestion क्या है ? और सम्मोहन प्रक्रिया में इसका क्या महत्व है ?
अगर आप आज शुबह बहुत ही तरोताजा उठे हैं ,और मॉर्निंग वाक के लिए निकलते हैं , और रास्ते में आपका कोई दोस्त कहे, कि तुम बहुत कमजोर लग रहे हो , बीमार थे क्या, तो आपका जवाब होगा, नहीं मै तो बहुत फिट महसूस कर रहा हूँ , और आप आगे बढ़ जाएंगे । अब मान लीजिये २-३ अन्य लोग भी आपसे कुछ ऐसी ही बात कह दें, जैसे थके लग रहे हो , रात देर से सोए थे क्या , वगैरह वगैरह अब आपको भी संदेह होने लगेगा, कि शायद आप फिट नहीं हैं। हो सकता है ,आप घर आकर आइना देखे ,और ये मानने के लिए मजबूर हो जाएं , कि कल रात जो मैंने देर तक काम किया, या खाना जो थोड़ा ज्यादा हो गया , या कुछ दिनों से जो बात मुझे परेशांन कर रही है, ये उसी का असर है । यानि आप स्वस्थ होते हुए भी ,खुद को बीमार मानने के लिए मजबूर हो जाएंगे और वास्तव में ही थके दिखाई देने लगेंगे। ये है suggestion की ताकत ।
अगर कोई हिप्नोटिस्म का जानकर अपने माध्यम या ऑब्जेक्ट को suggestion देता है, कि बहुत गर्मी है , तो उसे ठंडी के मौसम में भी , बड़ी आसानी से पसीने आ जाते हैं ।
कहानी रोचक है, पर इसका हमारे टॉपिक से क्या सम्बन्ध है । ठीक है ,एक स्टेप आगे बढ़ते है ।
suggestion का ही दूसरा रूप है, Auto – Suggestion ।
यानि स्वयं को सुझाव देना । क्या आप जानते हैं, कि ये काम हम सभी करते हैं और चौबीसो घंटे करते हैं। इसे सेल्फ टॉक या खुद से बातचीत भी कहते हैं । कुछ लोग इसे अपनी ईश्वर से बातचीत भी मानते हैं।
जैसे आप खुद से कहें , कि कल मुझे ५ बजे उठना है, फ्लाइट पकड़नी है । निश्चित रूप से आप अलार्म भी लगा देंगे पर मै मानता हूँ , कि आप सही समय पर अलार्म से पहले ही उठ जाएंगे और ऐसा लगभग हम सभी के साथ होता है।
अब कुछ और बात करते हैं।
जैसे मैं मानता हूँ ,कि रात को दही या चावल खाने से ,अगले दिन मुझे पक्का जुकाम हो जाता है। क्यों?
क्योंकि , ऐसा मैंने अपने अनुभवो से पाया है । तो मैं आपको बताऊं , कि मुझे फिर रात में दही नहीं खानी चाहिए वरना मै जरूर बीमार पड़ूंगा ।
हम सबकी ऐसी हजारों कहानियां है। मैं रात को 12 बजे तक जग जाऊ तो मुझे नींद नहीं आती , इस X नाम के आदमी का चेहरा देख लूँ तो मेरा काम पक्का बिगड़ जाता है। या मैं जो काम करू, मुझे पक्का असफलता ही मिलती है । वगैरह वगैरह ।
ये क्या है ? ये हमारे विश्वास है जो दोहराते रहने से और अनुभवों द्वारा पक्के हो गये हैं और आप पायेंगे कि ये प्रायः सच होते हैं । हमारे शरीर के भीतर की कोई शक्ति, इन्हें पक्का करने में हमारा साथ देती है।
यह समझना इतना जरूरी क्यों है ? क्योंकि ऐसा उन्हीं के साथ होता है , जिनका ऐसा विश्वास है वरना रात में दही और छाछ पीने वाले बहुत से ऐसे लोग हैं , जो कभी बीमार नहीं पड़ते और रात को 12:00 बजे जगने के बाद तो नींद और गहरी आनी चाहिए ।
पर क्या करें ,यह कहना तो बहुत आसान है ,कि हर आदमी का अपना शरीर है और शायद वह जो सोच रहा है या कह रहा है , वह सही है। अब हम झगड़े में नहीं पड़ते और वापस अपने टॉपिक पर लौटते हैं, कि क्या कोई ऐसी चीज है? जो यह तय कर सके, कि कोई घटना होगी या नहीं ।
तो हां, वो हमारा विश्वास ही है ,जो चीजों का होना और ना होना तय करता है । पर यह सब काम कैसे करता है ?
जब हम किसी चीज को अपने मन में बार-बार दोहराते हैं तो मन उस चीज को मान लेता है । यह खुद से होने वाली बातचीत का परिणाम है, जो आपके दिमाग में दिन भर चलती रहती है।
आप ट्रेन टिकट की लाइन में खड़े हैं और खुद से कहते हैं ,यह सरकारी लोग काम करना नहीं चाहते , बहुत धीमा हाथ चलाते हैं, बाहर से लोग लाइन में लगे बिना ही टिकट बनवा रहे हैं, यहाँ बहुत टाइम लगेगा और वास्तव में बहुत टाइम लगता है ।
पोस्ट ऑफिस में स्पीड पोस्ट करते समय आधा घंटा बचा है, लंच होने में और वहां बैठा बाबू , धीमे धीमे स्पीड पोस्ट के लिए लेटर्स लेता है और आप मन ही मन यह सोचते हैं, कि लंच से पहले मेरा नंबर नहीं आएगा और वास्तव में आप लंच होने तक खिड़की पर नहीं पहुँच पाते।
ऐसा एक बार नहीं दिन में कई बार होता है ।
हम यही सब सोचते हैं, कि यह आदमी मेरा काम नहीं करेगा , आज सोने में देर हो गई, कल पूरे दिन थकान रहेगी , मैं दिन में सो जाऊं तो रात में नींद डिस्टर्ब हो जाती है , वगैरह वगैरह ।
यह सब खुद से कहने का मतलब है , कि आपके साथ ऐसा ही होने वाला है । मैं कहूंगा, कि आप पॉजिटिव सोचें , खुद को अच्छी बातें कहे, खुद को काम के होने का विश्वास दिलाएं लेकिन आप कहेंगे, कि मुझे तो इस बात का विश्वास है कि ऐसा ही होगा, तो खुद से झूठ कैसे बोल सकते हूँ ?
मैं पूछता हूं, 80,000 किलो का एक लोहे का विमान, सैकड़ों लोगों को लेकर उड़ जाता है जो किसी जमाने में असंभव माना जाता था और ये बात एक बहुत बड़ा झूठ पर आपको ऐसा लगता है, कि लंच से पहले , खिड़की पर बैठा आदमी, आपका लेटर पोस्ट नहीं करेगा जैसे उससे आपकी कोई ज्यादती दुश्मनी हो ।
अच्छा एक और चीज भरोसे के ऊपर,
अगर मेरा कोई बहुत करीबी दोस्त ICU में है और सारे Report negative है। कल का दिन, शायद उसका आखिरी दिन हो। और मुझे लोग पूछते हैं , कि आपके दोस्त की तबियत कैसी है तो मैं क्या कहूंगा, कि वो कल मर जायेगे ,क्योंकि सारी reports यहीं बता रही है।
नहीं , मैं कि कहूंगा कि सब उपर वाले के हाथ में है। आप भी प्रार्थना करिये कि वो ठीक हो जाये ।
किसी चीज का निरंतर अभ्यास करने से , हम उस काम में पारंगत हो जाते हैं और एक बार जब हमें विश्वास हो जाए, कि मैं यह कर सकता हूं तो बचा खुचा काम अपने मन की आवाजों को सही दिशा देकर हम पूरा कर सकते हैं । खुद को विश्वास दिलाते रहे, कि काम जरूर होगा । बहुत विपरीत परिस्थितियों में भी ,आप बेस्ट की आशा रखें और अगर भरोसा कमजोर हो तो प्रार्थना करें पर अपनी आशाओं को अपनी मन की आवाजों को कभी भी विपरीत दिशा में ना जाने दें और अगर आप ऐसा करने में सफल हुए तो मनचाही परिस्थितियां हर समय आपका स्वागत करेंगी।