मन की शांति से तात्पर्य है, एक शांत मन जिसे सभी ढूढ़ रहे है |
फिर वो क्या चीज है जो हमारे मन की शांति को भंग कर देती है |
‘ विचार ’
ठीक है तो विचारो को ही ख़त्म कर देते है | पर क्या ये संभव है ?
क्या हम एसे जीवन की कल्पना कर सकते है ? जिसमे कोई विचार न हो , विचार ही तो जीवन को गति देते है |
अगर ध्यान दे, तो हम पायेगे , कि सभी विचार हमें अशांत नहीं करते , कुछ एसे भी है,जो हमें ख़ुशी देते है |
इसका मतलब हम कह सकते है , कि शांत मन एक ऐसा मन है, जिसमे सभी अच्छे विचार हो |
तो फिर क्या मुश्किल है |
मुश्किल ये है की :-
– श्रीमान “क” ने मुझे अपशब्द कहे है | उन्हें शरीफ लोगो से बात करने की तमीज नहीं है I
– श्रीमान ‘ख” मुझे वो करने को कहते है, जो मेरे अनुसार गलत है |
– श्रीमान “ग“ हमेशा अपनी शेखी बघारते रहते है और दूसरो को तुच्छ समझते है| वगैरह वगैरह
और हाँ
कि आज बहुत गर्मी है और मुझे ये मोसम बहुत बुरा लगता है |
या फिर मुझे बुखार हो गया है और मन बिलकुल ठीक नहीं है |
उपर लिखे कारणों से हमें पता चलता है, कि हमारी सारी तकलीफों या अशांति की वजह बाक़ी के लोग या चीजे है |
पर बुखार तो अपना है लेकिन बुखार हुआ कैसे क्योकि ‘ वायरल इन्फेक्शन ‘ चल रहा है ,जो एसे बरसात के मोसम में आम बात है |
तो यह पक्का हो गया की हमारे मन की अशांति और दुखो का कारण सभी बाहरी लोग और चीजे है और कुछ नहीं |
“क्या ये सच है”
थोडा अपना नजरिया या दृष्टिकोण बदल कर देखते है , क्या दुनिया के सभी लोग श्रीमान क , श्रीमान ख , श्रीमान ग , गर्म मोसम या बारिश के मोसम से परेशान है या नाराज है |
मै पूरे विश्वास के साथ कह सकता हु, कि आपको एसे बहुत से लोग मिलेगे, जो श्रीमान क, श्रीमान ख, श्रीमान ग , गर्म मोसम या बारिश के मोसम को पसंद करते है | या कम से कम उनके साथ सामान्य और शांत बने रहते है, तो हम क्यों नहीं , जबकि ये हमारे खुद के मन की शांति का प्रश्न है | दरसल हमें मन की शांति के लिए सभी चीजो को, वो जैसी भी है जिस रूप में है स्वीकार करना चाहिए और हो सके तो पसंद करना चाहिए |
अंत में, मै ये कहना चाहूँगा , कि हर व्यक्ति , वस्तु या परिस्थिति उस परम पिता परमेश्वर का अंश है | उसकी रचना है | इसलिय कोई भी तब तक पूर्ण शांति नहीं पा सकता, जब तक वह सभी को पसंद न करने लगे |
सभी से मेरा तात्पर्य है सब कुछ …. अगर आपको कुछ अच्छा नहीं लगता तब भी आपको उसे प्रेम पूर्ण , सहानुभूतिपूर्ण भाव से और ठीक करने के उद्देश्य से स्वीकार करना होगा , जैसे आप खुद के या अपनो के फोड़े और मवाद से भरे शरीर , बीमार ,काँपते, दूषित और तकलीफ से भरे हुए शरीर और अपने बुरे कर्म या आदतों को जिन्हें सिर्फ आप ही जानते है, से भरे इस शरीर और मन को स्वीकार करते है |