तुम खुश रहो , आनंद में रहो , मुक्त रहो , तुम्हें इसीलिए भेजा गया है | मैं तुम्हारे अंदर अपनी कृति के प्रति आनंद पाता हूं | दुख भी है, अगर तुम उस में खो जाना चाहो, अपना लेना चाहो ,मैं कुछ नहीं कर सकता, यह तुम्हारा चुनाव है, क्योंकि मैंने तुम्हें बंधनों से मुक्त रखा है |
पर मेरी मानो , तो आनंद मे रहो , हर बार इसे ही चुनो ,और दुख तुम्हें छू भी नहीं पाएगा | दुख को देखो, स्वीकार करो , पर अपनाओ खुशी को | कोई घृणा या तिरस्कार नहीं , एक भाव है, चुनाव है, तुम्हारे लिए अवसर है, सेवा का , वास्तव में कुछ करने का , भटके हुए को रास्ता दिखाने का |
तुम ही मैं हूं , मैं ही तुम हो, सब तुम्हारा ही है | स्वामी हो ,तुम इस जगत के ,और सभी लोग तुम्हारे सभी साथी अद्वितीय हैं | पर भूले बैठे हैं अपने को , स्वत: व्यक्त करो , सच को जानो व लोभ और अहंकार से ऊपर उठकर जगत के स्वामी बन जाओ |
मैं जानता हूं , कि सर्वोच्च सुख आपका साथ है , जो सभी इच्छाओं से ऊपर उठ कर मुझे इस जगत का स्वामी बना देता है | ऐसी ऊर्जा जो खत्म नहीं होती , जहां प्यार ही प्यार है , कोई शंका नहीं, केवल विश्वास है | पर मैं ऐसी अवस्था में रुक नहीं पाता , मुझे वह सभी चीजें घेर लेती हैं , जिन्हें छोड़ कर मैंने आपको चुना है | मैं क्या करूं ?
तुम किसे छोड़ते हो , फिर मुझे अपना लोगे , तो सब अपना लिया, फिर छूटेगा ही क्या ? तुम्हारे भीतर की इच्छा है, जो अभी तुमसे दूर है, वह मेरी समीपता से तुम्हें प्राप्त होने लगती है | ध्यान से देखो, जो भी तुम्हारे पास आता है , वह स्वयं की सेवा कराने आता है, और तुम्हारी सेवा कर के चला जाता है |
अगर तुम अपनी सेवा कराने लग जाओगे , तो फिर इच्छाओं में लिप्त हो जाओगे , कर्मफल से बँध जाओगे, हो जाओगे मुझसे दूर , स्वीकार करो उसे, जो तुम्हारे पास आता है, और कर दो जो वह चाहता है ,और जब जाने लगे , तो जाने देना , रोकना चाहोगे तो बंध जाओगे |
बस आनंद प्राप्त करो , तुम्हें बांधना या भटकाना , ऐसा मैं नहीं करता , मेरी मजबूरी है , जब तुम्हें मैं मिलूंगा , तो सब कुछ तुम्हें स्वत: ही मिल जाएगा | हीरे मोती चुन लोगे , तो मैं खो जाऊंगा, और मुझे साथ रखोगे, तो हीरे मोती भी सदा तुम्हारे रहेंगे |
इति |