जैसे जैसे हम बड़े होते हैं , हमारे शरीर में कई विकार उत्पन्न होते हैं । गौर करें, क्या आपने किसी बच्चे को सिर दर्द या कब्ज की शिकायत करते सुना है ?
अब कुछ लोगों का जवाब होगा कि शरीर समय के साथ कमजोर होता है ।
सही है , लेकिन क्या हम नहीं चाहते कि हम अपने आयु वर्ग में सबसे अधिक आकर्षक दिखे । ध्यान देने पर हम पाएंगे, कि हमारी आदतें हमारे पाचन और स्वसन प्रक्रिया पर असर डालती हैं और यही हमारे स्वास्थ्य की समस्याओं के लिए जिम्मेदार है ।
हमारी आदतों और व्यवहार के स्वास्थ पर पड़ने वाले प्रभाव को हम प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में कफ पित्त और वायु दोषो के रूप में देख सकते हैं ।
- वायु दोष
अगर व्यक्ति काम को जल्दी जल्दी करता है और दिमाग में कई अन्य महत्वपूर्ण काम याद आने से वह अपनी इस काम पर केंद्रित नहीं कर पाता तो वायु दोष से ग्रसित है जैसे-जैसे काम की लय टूटती है वैसे ही पाचन भी ठीक प्रकार से नहीं हो पाता और खाली स्थान को हवा भरती है ऐसा व्यक्ति पेट में भारीपन की शिकायत रखता है क्योंकि वह कई बार शौच जाने पर भी पेट को पूरा साफ नहीं कर पाता ।
कारण – डर या अत्यधिक जिम्मेदारी लेना
विशेषता
कई कार्य कई बातें एक साथ पूरा कर सकते हैं
फुर्तीले होते हैं
हर दिशा में अनंत विस्तार में विश्वास रखते हैं
समस्याएं-
पेट में भारीपन
शरीर का दुबलापन
हड़बड़ी या जल्दबाजी से कार्य की गुणवत्ता में कमी
उपाय-
एक बार में एक काम करें
व्यवहार में स्थिरता लाएं मेडिटेशन ( ध्यान )द्वारा
कार्यों की समय सूची बनाएं अगर किसी कार्य को करते दौरान कोई और कार्य याद आए तो उसे किसी अन्य समय में प्लान करके पूरा करें
याद रखें आप अकेले नहीं है जिसने पूरी दुनिया अपने कंधों पर उठा उठा रखी है और हम चाहे कितना भी भाग्य कुछ ना कुछ तो छूट ही जाना है
2. पित्त दोष
अगर व्यक्ति अपने कार्य को पूरी ताकत से कम समय में अच्छी प्रकार से पूरा करता है तो अधिक ताकत के प्रयोग से उसे अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी जिसके लिए भोजन को पचाना होगा जिससे हमारी ग्रंथियों से पित्त रस का स्राव अधिक होगा जिसका काम ऊर्जा के उत्पादन के लिए भोजन को जलाने का है ।
कारण – क्रोध नाराजगी या अहंकार
विशेषता
कार्य के प्रति अनुशासन
कार्य में गुणवत्ता
कार्य को कम समय में अच्छी प्रकार से पूरा करना
समस्याएं
नाराजगी या क्रोध
कब्ज और खट्टी डकार
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर)
उपाय
काम को बीच-बीच में विराम दें
शरीर को हल्का छोड़े गहरी सांस लें
कुछ हल्के-फुल्के कामों को करने की आदत डालें जिनका कोई खास उद्देश्य ना हो जैसे पार्क में टहलना पौधों में पानी डालना और बच्चों के साथ खेलना
याद रखें हर इंसान उस परमपिता परमेश्वर की अनुपम कृति है इसलिए उसमें अच्छाई देखें सम्मान दें और प्रेम भाव रखें ऐसा आप दूसरों के लिए नहीं बल्कि अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए करने वाले हैं ।
3. कफ दोष
अगर व्यक्ति काम को धीरे-धीरे और अच्छी प्रकार से पूरा करता है लेकिन काम के पूरा हो जाने के बाद भी उसे और बेहतर बनाने के लिए उसमें लगा ही रहता है छोड़ नहीं पाता तो यह कफ की प्रवृत्ति है यह चिपचिपा पदार्थ है जो चीजों को जोड़ने के काम आता है ।
कारण – लालच या अत्यधिक लगाव (आशक्ति )
विशेषता
अपने काम में रुचि लेना
चीजों को बहुत बेहतर बनाने की छमता
आवश्यक वस्तुओं के संचय की छमता
समस्याएं
स्वास का रुद्ध हो जाना , सर्दी खांसी जुकाम की शिकायत रहना
थकान और सिर दर्द रहना
मौसम बदलने पर बीमार हो जाना
आराम पसंद हो जाना, वजन बढ़ना
सुस्त दिखाइ देना
उपाय
अपने कार्य की समय सीमा तय करें , सभी कार्यों को करें और उन्हें उचित समय दें
शरीर को क्रियाशील रखें
व्यायाम नियमित रूप से करें
गैर जरूरी समझकर कार्यों को डाले नहीं
ध्यान रखें, अति हर चीज की बुरी होती है चाहे हम उसे कितना भी जरूरी क्यों न माने
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